यदि ऐसी प्रभाव रेखा द्वीप चिह्नयुक्त हो, तो विवाह विच्छेद होने का कारण अनुचित च छलकपट की भावना होती है।
2.
यदि कोई प्रभाव रेखा शुक्र क्षेत्र से आकर विवाह रेखा को काट दे ता परिवार वालों के हस्तक्षेप से वैवाहिक जीवन में बाधा आती है।
3.
यदि प्रभाव रेखा भाग्य रेखा से अधिक बलवती हो तो जातक का व्यक्तित्व अपने प्रेमी के व्यक्तित्व की अपेक्षा कमजोर होता है, जिससे वह दब्बू बना रहता है।
4.
यदि बुध क्षेत्र पर विवाह रेखा पुष्टता से अंकित हो और कोई प्रभाव रेखा चंद्र क्षेत्र से आकर भाग्य रेखा से मिले, तो जातक विवाह के बाद धनवान हो जाता है।
5.
परंतु जब प्रभाव रेखा चंद्र क्षेत्र पर पहले सीधी चढ़ जाये और फिर मुड़कर भाग्य रेखा से मिले, तो विवाह संबंध में सच्चे प्रेम की भावना नहीं होती बल्कि दिखावा मात्र होता है।
6.
यदि शुक्र क्षेत्र से उठने वाली प्रभाव रेखा जीवन रेखा की ऊर्घ्वगामी शाखा को काटती हुई बुध क्षेत्र में जाकर विवाह रेखा को काट दे, तो कानूनी ढंग से तलाक मंजूर हो जाता है, किंतु इसके पहले अदालती कार्रवाई चलती है।
7.
यदि विवाह रेखा दो शाखाओं में विभक्त हो और मंगल के मैदान में से निकलने वाली प्रभाव रेखा जो भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा को काटती हुई ऊपर उठे तथा विवाह रेखा को भी काट दे, तो वैवाहिक संबंध विच्छेद हो जाता है।
8.
तलाक होने का योग: विवाह रेखा के अंत में गुच्छा हो, मंगल पर्वत से कोई रेखा विवाह रेखा को काटे, विवाह रेखा से शाखा निकल कर मस्तिष्क रेखा से मिलती हो या शुक्र पर्वत से प्रभाव रेखा जीवन रेखा को काटती हुई विवाह रेखा से मिलती हो, अथवा विवाह रेखा को काटती हो तो तलाक होता है।